Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -27-Jul-2022 -कंगाली में आटा गीला

कंगाली में आटा गीला क्यों करता,
महंगाई में फालतू खर्चे से क्यों नहीं डरता।
पेट्रोल का दाम छू रहा आसमान,
डीजल भी भरवाना नहीं रहा आसान।
दवाइयों ने लूट लिया आदमी का चैन,
चिंता में घुलता जाए वह तो दिन रैन।
सब्जियां अब क्या कोई खा पाएगा,
महंगी दाल में भी स्वाद नहीं आएगा।
आमदनी तो अब हो गई यहां थोड़ी,
कैसे चढ़ेंगे दूल्हे राजा अब यहां घोड़ी।
पार्लर का खर्चा वो उठाएंगे कैसे,
पत्नी के नखरो से सताएंगे जैसे।
बचत के नाम पर बचाई नहीं चवन्नी,
क्लबों में जाकर खर्च कर दी अठन्नी।
जाम से पैमाना छलकता क्यों हैं,
सिगरेट से शरीर सुलगाता क्यों हैं।
इंसान से वेल्टीनेटर का दाम लिया जाता,
सांस - सांस को अब उधार दिया जाता.
कंगाल हम इतने हो गए भैय्या,
याद आ गई हमको हमारी मैय्या।
ईश्वर का आओ थोड़ा जप ले नाम,
भोले का ही नाम अब आएगा काम।
पैसे और जाप की कीमत को समझना,
कंगाली में आटा और गीला न करना।

#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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15 Comments

Khan

28-Jul-2022 11:59 PM

Nice

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Rahman

28-Jul-2022 11:02 PM

Bhut khub

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Joseph Davis

28-Jul-2022 09:34 PM

😊😊😊

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